वह देश,देश क्या है जिसमे जनमे शहीद नही
वह खाक जवानी है जिसमे मर मिटने की उम्मीद नही !
वह माँ बेकार सपूती है जिसने कायर सुत जाया
वह पूत,पूत नही जिसने माँ का दूध लजाया !
सुख पाया तो इतरा जाना,दुख पाया तो कुम्हला जाना
यह भी क्या जीवन है,पैदा होना फिर मर जाना !
पैदा हो तो फिर ऐसा हो जैसे ताँत्या बलवान हुवा
मरना हो फिर ऐसे ज्यो भगतसिँह कुर्बान हुवा !
जीना हो तो वह ठान-ठान जो ऊधमसिँह ने ठानी थी
या जीवन पा कर अमर हुई जैसे झाँसी की रानी थी !
यदि कुछ भी तुझमे जीवन है तो बात याद कर प्रताप राना की
दिल्ली के शाह बहादुर की कानपुर के नाना की !
तू बात याद कर मेरठ की,मत भूल अवध के घातो की
सन सत्तावन के दिवस याद कर,मत भूल गदर की बातो को !
आजादी के परवानो ने जब खून की होली खेली थी
माता को मुक्त कराने को सीने पर गोली झेली थी !
तोपो पर पीठ बँधाई थी,पेडो पर फाँसी खाई थी
पर उन दिवानो के मुख पर रत्ती भर शिकन ना आई थी !
वे भी घर के उजियारे थे,अपधी माता के तारे थे
बहनो के बँधू दुलारे थे,अपनी पत्नी के प्यारे थे !
पर आदर्शो की खातिर जो अपने जी मे जोम गये
भारत माता की मुक्ती हेतू,अपने शरीर को होम गये!
कर याद कि तू भी उनका ही वँशज भारत वाषी है
यह जननी जनम भूमी अब भी कुछ बलिदानो की प्यासी है !
-गोपाल प्रसाद व्याष
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