Friday, April 20, 2012
राजीव गांधी ने किया था एंडरसन की रिहाई का सौदा
भोपाल गैस त्रासदी पर तत्कालीन भारत सरकार ने एक सौदा किया था. सौदा यह कि उसने एंडरसन को सकुशल जाने दिया बदले में अमेरिका ने 11 जून 1985 को आदिल सहरयार को छोड़ दिया था. क्या यह महज संयोग भर है कि जिस दिन आदिल शहरयार जेल से रिहा हुआ उसके अगले दिन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमेरिका में थे?
यह आदिल सहरयार कौन हैं जिनके लिए राजीव गांधी हजारों मौतों के जिम्मेदार एंडरसन को राष्ट्रपति से चाय पिलवाकर देश से रुखसत किया था? आदिल सहरयार इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे मोहम्मद युनुस के बेटे थे. उनका लालन पालन इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की तरह ही हुआ था. सहरयार अमेरिका गया लेकिन वहां जाकर वह अपराध जगत का हिस्सा बन गया. 30 अगस्त 1981 को आदिल मियामी के एक होटल में पकड़ा गया था. उसके ऊपर आगजनी में शामिल होने का आरोप था. पकड़े जाने पर जब अमेरिकी प्रशासन ने आदिल के बारे में छानबीन शुरू की तो पता चला कि वह ड्रग रैकेट का हिस्सा है. उसके कई और अपराध सामने आये और अमेरिका न्यायालय ने उसे खतरनाक मुजरिम की श्रेणी में रखा और 35 साल की सजा सुनाई गयी. सजा के बाद आदिल की ओर से न केवल न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की गयी बल्कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के एक समर्थक ने आदिल की रिहाई के लिए अमेरिका राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग भी किया. उसकी कोशिश थी कि आदिल को मुक्त कराकर भारत भेज दिया जाए. लेकिन बात नहीं बनी.
आदिल की रिहाई की सारी कोशिशें क्यों हो रही थीं यह भी छिपी हुई बात नहीं है. भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय इस काम के लिए सक्रिय था. इसी घटनाक्रम के तहत मोहम्मद युनुस के इंदिरा गांधी पर प्रभाव का भी खुलासा हुआ. रोनाल्ड रीगन के नाम पर आदिल की रिहाई की कोशिश करनेवालों ने इंदिरा और युनुस के गहरे पारिवारिक रिश्तों का वास्ता भी दिया था. फिर भी बात नहीं बनी. लेकिन भोपाल गैस त्रासदी ने राजीव गांधी को मौका दे दिया कि वे आदिल सहरयार को सकुशल भारत वापस ला सके.
भोपाल गैस काण्ड के बाद एंडरसन की भारत से सकुशल विदाई की बात पर राजीव गांधी प्रशासन की ओर से आदिल के रिहाई की शर्त रखी गयी. उस समय के ईमानदार अफसर और कांग्रेसी नेता भी इस बात से इंकार नहीं करेंगे कि एंडरसन के बदले अमेरिका प्रशासन से एक सौदा हुआ था. इस सौदे से जुड़े दस्तावेज अब कोई क्लासीफाइड डाक्युमेन्ट नहीं हैं. सीआईए की एक रिपोर्ट से उजागर हुआ है कि 26 साल पहले भारत सरकार ने एंडरसन के बदले में आदिल सहरयार को वापस मांगा था. यह रिपोर्ट 2002 में डिक्लासीफाईड की जा चुकी है. सीआईए की ही रिपोर्ट में यह खुलासा भी होता है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दिल्ली के आदेशों का पालन कर रहे थे. इस खुलासे के बाद ही कांग्रेस नेतृत्व सक्रिय हुआ और उसने लीपापोती शुरू कर दी. साफ है दस जनपथ से जुड़े दशानन किसी भी सूरत में राजीव गांधी का नाम बदनाम नहीं होने देना चाहते हैं.
लेकिन कांग्रेसी लीपापोती और सुलह सफाई एक तरफ. दूसरी तरह खुद अमेरिकी प्रशासन से जुड़े लोगों के खुलासे हैं जो बताते हैं कि आदिल सहरयार के बदले में एंडरसन को छोड़ा गया था. अमेरिकी मिशन के पूर्व उपाध्यक्ष गार्डन स्ट्रीब ने भी दावा किया है कि एंडरसन को एक समझौते के भारत ने वापस भेजा था. यह समझौता क्या था? अगर आदिल की रिहाई से जुड़ा मामला नहीं है तो क्या हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उन कारणों का खुलासा करेंगे जो राजीव गांधी को सीधे सीधे इस पूरे मामले में दोषी करार दे रहे हैं?
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