Sunday, June 10, 2012

१९९१ की आर्थिक संकट का सत्य


१९९१ की आर्थिक संकट का सत्य

जो आप सब जानते हैं या आप सभी ने जो पढ़ा है, वो अधुरा सत्य है।
१९९१ मे हमारे देश मे जब आर्थिक मंदी आई थी। तब प.व नरसिम्हा राव ने अपने एक नजदीकी को उनकी शैक्षिक योग्यता को देख कर उन्हे वित्त मंत्री बना दिया और वे थे हमारे देश के वर्तमान समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिन्ह।
उस समय १९९१ मे नया शब्द आया "globalization" जो इनकी महरबानी थी।
तो मनमोहन सिन्ह जी आये और उन्होने कहा की globalization के लिये हमे अपनी मुद्रा का currency का devaluation करना है, यानी मुद्रा अवमूल्यन करना है, बोले ज्यादा नही करुंगा बस १२ या १३% ही करुंगा और होते होते ये जाकर २३% पे रुका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप दोनो को मिला कर ये करीब ३०से ३५% मुद्रा अवमूल्यन तभी १९९१ मे हो गया, और ये रोना हम आज तक रोते आ रहें की डालर आज ५६ रुपय का हो गया। तो जी मुद्रा अवमूल्यन करके हम global होगये इसके बाद।
इसके बाद हमारे मनमोहन सिन्ह ने क्या कहा की आयात शुल्क यानी import duty कम क्र दीजिये तो हम और ज्यादा ।
तीसरी बात ये कही गयी की हमारी सरकार को "social expenditure" सामाजिक खर्च कम करने चाहीये तो ये भी किया।
अब इसके बाद हमारे वित्त मंत्री ने कहा की विदेशी निवेश संस्थानों "foreign investment institutes" को आने दो तो हम ज्यादा global हो जायेंगे और आज हमारे देश मे ज्यादातर कंपनियां विदेशी हैं देशी कंपनियों को या तो  मे ले लिया या फ़िर बंद करा दिया।
और ये सब किसके कहने पे किया ये सब किया के कहने पे क्यों किया क्योंकी उनसे इन्होने लोन लिया था। तो उनकी शर्ते तो माननी थी ना, अच्छा मुझे ये बताने की जरूरत तो है नही की world bank या ऐसी सन्स्थाओं के उपर पूरा अधिग्रहण है किसका उन पांच महा देशों का जिनमे एक अमरीका है।
तो हमारे वित्त मंत्री ने आर्थिक संकट को दूर कहां किया था उन्होंने तो उसे टाला था। "globalization" के नाम पर..... जिसका असली चेहरा अगर देखना होतो जरा south korea,  brazil या latin America के किसी भी देश का इतिहास उठा कर देखिये कि ये globalization का कीड़ा दीमक की तरह खोखला कर देता है, देश को.......!!

तो मेरे मित्र हमे जानना होगा हर कथा और हर तथ्य का सत्य तभी हम लड़ सकेंगे।

जय हिन्द जय भारत.....!!  

No comments:

Post a Comment